शुक्रवार, 29 मई 2020

मीठे वचनों की सार्थकता

मीठे वचनों की सार्थकता
पोथी पढ़ी- पढ़ी जग मुआ,
पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का,
पढ़े सो पंडित होय।।
कबीर जी तो बहुत पहले ही बता गए थे कि पोथी पढ़- पढ़ कर कोई विद्वान नहीं बनता। जिसने ढाई अक्षर प्रेम का सीख लिया, वही पंडित बन जाता है अर्थात प्रेम में बहुत शक्ति होती है। प्रेम से बड़ी से बड़ी नफरत को भी मिटाया जा सकता है। कबीर जी ही नहीं हर विद्वान व्यक्ति प्रेम की महत्ता को स्वीकार करता है। हम बहुत पढ़ लिख ले पर यदि हम ठीक ढंग से किसी से बात ही नहीं करें, तो हमारी इतनी पढ़ाई लिखाई व्यर्थ ही है ।शिक्षा हमें प्रेम सिखाती है, सभी से प्रेम पूर्वक व्यवहार करना सिखाती है, हर व्यक्ति को सम्मान देना सिखाती है।
मैं ऐसा मानती हूं कि हम सभी जो इस धरती पर विचर रहे हैं। मनुष्य, पशु- पक्षी पेड़- पौधे सभी प्रेम के भूखे होते हैं।
हम प्रायः घरों में देखते हैं कि एक छोटे बच्चे को जिससे
 अधिक प्रेम मिलता है ,वह उसी की ओर आकर्षित होता है। ‌उसी से उसका तालमेल अधिक हो जाता है ।पालतू पशु- पक्षी भी प्रेम की ही भाषा समझते हैं। वे भी जानते हैं कि कौन उनसे कितना प्रेम करता है।
 किसी जनजाति में अगर पेड़ को काटना होता था तो उस जनजाति के लोग उस पेड़ के इर्द-गिर्द खड़े होकर उसे कोसना शुरू कर देते थे जिसके बाद वह पेड़ अपने आप ही सूख जाता था यह सभी उदाहरण हमें बताते हैं कि प्रेम इस भावना से सभी प्रभावित होते हैं।
मनुष्य अपनी सद्भावना ओं का अधिकांश प्रदर्शन वचनों द्वारा ही किया करता है। मधुर वचन, प्रेम भरे वचन मीठी औषधि के समान लगते हैं, तो कड़वे वचन तीर के समान चुभते हैं।
जो व्यक्ति प्रेम भरे बोल नहीं बोलता वह अपनी ही वाणी का दुरुपयोग करता है। ऐसा व्यक्ति संसार में अपनी प्रतिष्ठा खो बैठता है तथा अपने जीवन को कष्टकारी बना लेता है। कटु वचनों के कारण उसका बनता काम बिगड़ जाता है। वह प्रतिपल अपने विरोधियों व शत्रुओं को जन्म देता है। ऐसे व्यक्ति को सदा अकेलापन झेलना पड़ता है तथा मुसीबत के समय लोग उनसे मुंह फेर लेते हैं।
कोयल काको देत है, कागा कासो लेत।
तुलसी मीठे वचन से, सबका मन हर लेत।।
अर्थात ना तो कोयल किसी को कुछ देती है, ना तो कौआ किसी से कुछ लेता है। बस कोयल अपनी मीठी वाणी की वजह से ही  सबके मन को प्रसन्न कर लेती है अतः मीठे वचन, प्रेम से बोली गई वाणी को सुनकर सबका ह्रदय खिल उठता है।
जिस प्रेम भरी वाणी या प्रेम से सभी के ह्रदय में प्रेम उपजता है, उससे निर्धन भी कैसे अछूता रह सकता है ।निर्धन या गरीब व्यक्ति धन से विपन्न होता है । ऐसे में यदि कोई उससे कटु वचन कहें , नफरत करें, अशिष्ट आचरण करें तो उसके दिल को पीड़ा पहुंचती है। प्रायः देखा गया है कि अमीर वर्ग, गरीब वर्ग का शोषण करता है ,उसे अपमानित करता है ।जिससे वर्ग भेद की एक बड़ी समस्या का सामना हमारा समाज कर रहा है। जो निर्धन धन का मारा है। दो वक्त का भोजन भी जुटा नहीं पाता। समाज के संपन्न वर्ग से भी दुत्कारा  जाता है। ऐसा निर्धन व्यक्ति धन नहीं चाहता। वह केवल इतना चाहता है कि भले ही उसे रोटी ना मिले पर समाज का संपन्न वर्ग उससे प्रेम से पेश आएं। वह रोटी का भूखा नहीं है। वह प्रेम का, सम्मान का भूखा है। उसे अगर वह प्रेम, वह सम्मान प्राप्त हो गया तो उसकी क्षुधा अपने आप शांत हो जाएगी।
वशीकरण एक मंत्र है, तज दे वचन कठोर।
तुलसी मीठे वचन ते, सुख उपजत चहुं ओर।।
प्रेम भरी वाणी के कारण जहां सरोजनी नायडू भारत की कोकिला कहलाई। वहीं पर महात्मा गांधी जी संपूर्ण देश के पिता बन गए। महात्मा बुद्ध के प्रेम ने अंगुलिमाल को संत बना दिया तो शबरी के प्रेम ने राम को उसके झूठे बेर खाने के लिए विवश कर दिया। तुलसी के प्रेम ने राम को पा लिया तो मीरा के प्रेम ने उसे श्रीकृष्ण से मिला दिया।
प्रेम का बंधन अनूठा है। इसमें इतनी शक्ति है कि स्वयं ईश्वर को भी धरती पर अवतरित होना पड़ता है।अंत:
ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोए।
औरन को शीतल करै, आपहुं शीतल होय।।
                                                 राजेश्री गुप्ता

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