गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा,
गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः।
गुरु पूर्णिमा का पर्व हर वर्ष आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह पर्व भारत के पौराणिक इतिहास के महान संत ऋषि वेदव्यास की याद में मनाया जाता है। आज का दिन गुरु के प्रति श्रद्धा एवं समर्पण का पर्व है।
गुरु शब्द का अभिप्राय है अंधेरे से उजाले की ओर ले जाने वाला। गु का अर्थ अंधकार और रू का अर्थ मिटाने वाला। जो अपने सदुपदेशों के माध्यम से शिष्य के अज्ञान रूपी अंधकार को नष्ट कर देता है, वह गुरु है। गुरु सर्वेश्वर का साक्षात्कार करवाकर शिष्य को जन्म- मरण के बंधन से मुक्त कर देता है। अतः संसार में गुरु का स्थान विशेष महत्व का है। रामचरितमानस के आरंभ में गोस्वामी तुलसीदास जी ने गुरु को आदि गुरु सदाशिव का स्थान दिया है।
भोलेनाथ से जब माता पार्वती ने अपनी संतानों के हित के लिए प्रश्न पूछा कि ब्रह्म कौन है ? तब भोलेनाथ ने उत्तर देते हुए कहा गुरु के अतिरिक्त कोई ब्रह्म नहीं है। यही सत्य है।
गुरु शिक्षा प्रणाली के आधार स्तंभ माने जाते हैं। छात्र के शारीरिक एवं मानसिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
गुरु संस्कृति के पोषक है,
वे ही ज्ञान प्रदाता है,
साक्षरता के अग्रदूत,
वे ही राष्ट्र- निर्माता है।
भारतीय संस्कृति की गौरवशाली परंपरा रही है। गुरु रामदास जैसा गुरु, जिसने शिवाजी को छत्रपति शिवाजी बनाया। स्वामी रामकृष्ण परमहंस जैसा गुरु, जिसने नरेंद्र नाथ को, स्वामी विवेकानंद बनाया। स्वामी बिरजानंद जैसा गुरु, जिसने दयानंद को, महर्षि दयानंद बना दिया।
अतः हम यही कह सकते हैं कि
गुरु- गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपने, जिन गोविंद दियो बताए।।
Absolutely right tr.
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