प्रेम दो वर्णों का लफ्ज है।
इसमें छिपा बड़ा रोचक मर्म है।
प्रेम से प्रेम को पाया जा सकता है।
प्रेम से दुनिया को अपना बनाया जा सकता है।
प्रेम ने मेरी दुनिया ही बदल दी,
जब से प्रेम हुआ मुझे,
सब मुश्किल ही हल कर दी।
हिंदू ,मुस्लिम, सिख , ईसाई
सभी प्यारे लगते हैं।
ना कोई बड़ा, ना कोई छोटा,
ना कोई अमीर ,ना कोई गरीब लगता है।
बस प्यार से देखो तो हर इंसान,
करीब का कोई अपना लगता है।
प्रेम सिखलाता है हमको,
नफरत को भुलाकर व्यक्ति को जीतना।
प्रेम सिखलाता है हमको,
सभी को अपना बनाकर रखना।
ये प्रेम शब्द कितना ताकतवर है।
काश, ये मेरे देश का हर बंदा जान जाए।
तो दूरियों का यह समंदर,
हर एक को कितना,
नजदीक नजर आए।
जाति- पांति की दीवार पाटकर,
हम सब केवल,
प्रेममय हो जाए।
राजेश्री गुप्ता
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