आज इस वृक्ष के नीचे बैठकर यह खयाल आया
आज इस वृक्ष के नीचे बैठकर यह ख्याल आया
मेरे पूर्वजों ने इसे न लगाया होता
तो क्या होता ?
इस पेड़ की ठंडी छाया मुझे नहीं मिलती
इस पेड़ के मीठे फल मुझे नहीं मिलते
इस पेड़ से जो अपनापन है
वह मेरे पूर्वजों का आशीर्वाद है
यह पेड़ स्नेह, प्रेम, प्यार से
महकता है
चहकता है
इसको देख कर मैं भी
खुश होती हूं
सोचती हूं
मैं भी एक पेड़ लगाऊंगी
शायद मेरी आगे आनेवाली
कई पीढ़ियां
ऐसा ही लगाव
ऐसा ही अपनापन
पेड़ से महसूस करे
और तब शायद
आज का यह अपनापन
मेरे मन में
पेड़ के प्रति अपनत्व को
दूना कर देता है।
राजेश्री गुप्ता
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें