मंगलवार, 14 मार्च 2023

मैं

 मैं

मैं
मैं कौन हूं ?
यह मैं ना जानू ।
यह मैं क्या है ?
यह मैं ना जानू ।
जीवन का पल, कहां खत्म होगा।
 उसमें मैं होगा,
 या ना होगा ।
मैं है या नहीं है ,
यह मुझमें है ,
या उसमें है।
लेकिन यह मैं है बड़ा अभिमानी,
 इसके पीछे पड़ कर दुनिया है हारी ,
रावण और कंस है इसकी दास्तां,
 कवियों ने कही है इसकी खलिस्ता।
 हर शहर पर ,हर डगर पर,
 यह मैं है ।
हर इंसान में दुबका हुआ,
 किसी कोने में सिकुड़ा हुआ,
 कहीं कहीं पर फैला हुआ,
 यह मैं है ।
इसकी दास्तां हर इक मुखाफित है।
 रात हो या दिन हो ,
हर पल का चित है,
 ऐसा यह मैं है ,
ऐसा यह मैं है।
ऐसा यह मैं है।।
              राजेश्री गुप्ता


व्यक्ति

व्यक्ति

व्यक्ति
जीवन जीता है हर कोई,
 कोई घुट-घुट कर ,
तो कोई छुप छुप कर,
 कोई विद्रोह करता है ,
तो कोई आग्रह विनीत,
पर उसके जीने का यह संघर्ष है संचित,
 स्वाभिमानी है वह, अभिमानी है वह ,
जिसने अपनी जिंदगी से लड़ना सीखा,
अपने पैरों को मंजिल की तरफ बढ़ाकर ,
जिसने अपनी जिंदगी में बढ़ना सीखा,
 नित आगे बढ़कर  जिसने,
 कांटों पर चलना सीखा,
 जीवन यह क्षणिक है ,
यह सोचकर,
 जिसने जिंदगी में हंसना सीखा,
जिसने अपनी जिंदगी में हंसना सीखा।।
                                    राजेश्री गुप्ता 


साया

साया
            साया

जिंदगी का साथी है यह साया,
सुख दुख का साथी है यह साया,
 जिंदगी में हर कोई नहीं देता साथ,
 पर यह साया रहता साथ,
 गम से भरी जिंदगी हो,
 या हो खुशहाल व्यतीत ,
हर पल साथ है यह साया।
 जिंदगी के हर मुकाम का दोस्त ,
कटु सत्य की पहचान है साया,
 प्यार का जीवन है यह साया,
 संघर्षों में भी साथ रहकर,
 मरते दम का साथी है यह,
 जीवन की पगडंडी पर,
 मित्र बनकर साथ चलता है यह,
 गर्मी सर्दी हो या बारिश,
 या पवन का वेग समेत ,
मुश्किल के हर रस्ते पर भी ,
साथ रहता है यह साया ।
अमीर गरीब, ऊंच-नीच,
 सबका साथी है यह साया,
 साया है, यह साया है ।
जन्म से लेकर मृत्यु तक का,
 न मिटने वाला पाया है।
 दुख में साथ सदा रहता है,
 फिर भी लोग इस से कतराते हैं ,
हर पल दूर भागते इससे,
 पर हाथ छोड़ ना पाते हैं।
 इसकी बाह पकड़ कर ही,
 कइयो ने चलना सिखा है,
 जीवन के कठिन क्षणों में भी,
 मर मर कर जीना सिखा है,
 शुरू से अंत तक का सफर,
 इसके साथ कटता है,
 इसके सिवा जिंदगी का,
 इक पल भी व्यर्थ न कटता है ।
साथ सदा रहता है यह,
 तभी तो इसको साया कहते हैं ,
जिंदगी का साथी है यह साया
 सुख दुख का साथी है यह साया।
                           राजेश्री गुप्ता 

शुक्रवार, 3 मार्च 2023

संघर्ष

संघर्ष

जिंदगी से लड़ना ही संघर्ष है,
जिंदगी से लड़ते हुए ,
कांटों पर चलते हुए,
 मंजिल को पाना ही जिंदगी है।
सावन के महीने में,
बादलों की गड़गड़ाहट, 
पत्तों की सरसराहट ,
फिर पानी का बरसना ही जिंदगी है।
समुद्र के किनारे,
लहरों की हलचल,
 पवनों का वेग, 
कश्तियों का चलना ही जिंदगी है।
संध्या के समय,
दीपों का जलना,
 पक्षियों का घर जाना,
 उपवन का मुरझाना ही जिंदगी है।
रात्रि के पहर में,
शमा का जलना,
 परवाने का मिटना,
 और रातरानी का खिलना ही जिंदगी है।
                             राजेश्री गुप्ता