मंगलवार, 14 मार्च 2023

व्यक्ति

व्यक्ति

व्यक्ति
जीवन जीता है हर कोई,
 कोई घुट-घुट कर ,
तो कोई छुप छुप कर,
 कोई विद्रोह करता है ,
तो कोई आग्रह विनीत,
पर उसके जीने का यह संघर्ष है संचित,
 स्वाभिमानी है वह, अभिमानी है वह ,
जिसने अपनी जिंदगी से लड़ना सीखा,
अपने पैरों को मंजिल की तरफ बढ़ाकर ,
जिसने अपनी जिंदगी में बढ़ना सीखा,
 नित आगे बढ़कर  जिसने,
 कांटों पर चलना सीखा,
 जीवन यह क्षणिक है ,
यह सोचकर,
 जिसने जिंदगी में हंसना सीखा,
जिसने अपनी जिंदगी में हंसना सीखा।।
                                    राजेश्री गुप्ता 


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