प्लास्टिक
हमारे दैनिक जीवन में हम प्लास्टिक की काफी सारी वस्तुओं का उपयोग करते हैं। हमारी सुबह से लेकर हमारी रात तक के सारे क्रियाकलापों में हम प्लास्टिक का इस्तेमाल करते हैं। कभी यह नहीं सोचा था कि प्लास्टिक का इस्तेमाल इतना घातक हो जाएगा।
कई साल पहले जब बहुत बारिश हुई और जगह-जगह पानी भर गया। उस पानी का बढ़ता स्तर किसी बाढ़ से कम नहीं था। यह बाढ़ बढ़ती ही जा रही थी। बाद में पता चला प्लास्टिक की वजह से पानी जाने का स्त्रोत बंद हो गया है, जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई।
मतलब प्लास्टिक की वजह से बाढ़ का प्रकोप पूरे शहर को झेलना पड़ा।
प्लास्टिक एक ऐसा पदार्थ है जिसे अमर होने का वरदान प्राप्त हो गया है। मानो जब विष्णु जी देवों के अमर होने के लिए समुद्र मंथन के बाद जो अमृत बांट रहे थे वह प्लास्टिक को मिल गया हो। इसीलिए तो उसे समाप्त नहीं किया जा सकता। वजन में हल्का, कभी जमुना लगने वाला, कीमत भी कम ऐसी वस्तु कोई क्यों न ले?
प्लास्टिक है धीमा जहर,
प्रतिदिन पृथ्वी को मार रहा,
फैलता जा रहा है प्रकृति में,
आसमान से समुद्र तक ,
सभी को बर्बाद कर रहा।
प्लास्टिक एक ऐसा पदार्थ है जिसके कारण जल,मृदा, और वायु के प्रदूषण होते हैं। यह मानव जीवन के लिए भी हानिकारक है। यह ऐसा जानलेवा पदार्थ है जो प्रकृति को जड़ से हटाने की क्षमता रखता है।
इसका उपयोग बहुत सुलभ है। हमारे दैनिक जीवन में बड़ी सरलता से इसका उपयोग सभी कर रहे हैं। कम खर्च में, काम हो रहा है, तो अच्छा है। बचत तो हो रही है। पर यह आज की बचत कल पर कितनी नुकसानदायक है यह हम नहीं जानते।
कुछ लोग अपना सारा कूड़ा इन्हीं प्लास्टिक की थैलियों में भर कर सकते हैं उनके लिए कूड़ा फेंकना कितना आसान हो गया है। बारिश में हम सभी प्लास्टिक को सिर पर लगाकर बौछारों से सिर को बचाते हैं। प्लास्टिक की पन्नियों से किताबों कॉपियों को भी सुरक्षा देने का काम करते हैं।
पर कभी सोचा नहीं कि यह प्लास्टिक का उपयोग इतना घातक सिद्ध होगा। हम लोग अपने ही हाथों अपनी धरती को नष्ट कर रहे हैं।
सहूलियत को कम करो,
प्लास्टिक का उपयोग बंद करो।
यह नारा कई बार हमने सुना है पर समझते कुछ भी नहीं है।
कहते हैं अमेरिका लगभग 380 टन का प्लास्टिक निर्माण करता है। ऐसे ही प्लास्टिक का निर्माण होता रहा तो अपने आज के फायदे के लिए हम आने वाली पीढ़ी को केवल जहर ही दे रहे हैं।
प्लास्टिक से सिर्फ पर्यावरण ही नहीं पशु पक्षियों को भी खतरा है। अभी कल ही तो सुना कि एक गाय ने रोटी के साथ बंधी प्लास्टिक की थैली भी खाली। बेचारे मुख जानवर प्लास्टिक को खाकर तरह-तरह की बीमारियों को न्योता देते हैं। कुछ तो मर भी जाते हैं। मैं ऐसा सोचती हूं कि यदि गाय बकरियां ऐसे मर जाएंगी तो हमें दूध कहां से मिलेगा।
समुद्र और महासागरों में डाली गई प्लास्टिक की बोतलें, थैलियां आदि पानी को जहरीला बनाती हैं। मछलियां एवं कई जलचर प्राणी पानी के प्रदूषित होने के कारण मर जाते हैं।
वह दिन दूर नहीं जब इसके कारण कई प्रजातियां विलुप्त होती दिखाई देंगी।
पशु- पक्षियों पर गहरा संकट,
मछलियां तड़प कर मर रही,
समुद्र ,नदियां ,तालाबों पर,
प्लास्टिक रूपी गंदगी तैर रही।
प्लास्टिक जमीन की उर्वरा शक्ति को नष्ट करता है। यदि कपड़े या लकड़ी को जमीन में गाड़ दें तो वह नष्ट हो जाता है ।पर प्लास्टिक नहीं। वह तो कई साल बाद भी वैसा के वैसा ही मिलता है। इसका कोई अंत नहीं है। प्लास्टिक में फेनोमल, मिथेनॉल जैसे भिन्न-भिन्न तत्व मिलाए गए हैं। प्लास्टिक में आमतौर पर उच्च आणविक भार होता है जिसका अर्थ है कि प्रत्येक अनु परमाणुओं को वह साथ में बांधे रखता है। प्लास्टिक को रीसायकल नहीं किया जा सकता। तभी तो प्लास्टिक स्वयं कहता है
चीर के जमीन को, मैं प्रदूषण बोता हूं,
मैं प्लास्टिक हूं, मैं जीवन छीन लेता हूं।
प्लास्टिक को जलाने से इसमें से जहरीले पदार्थ निकलते हैं। प्लास्टिक से कैंसर होता है इसलिए तो प्लास्टिक में गर्म व्यंजन नहीं डालना चाहिए या गर्म पेय भी नहीं पीना चाहिए।
प्लास्टिक के प्रदूषण को कम करने के लिए हमें इसका उपयोग बंद करना होगा। प्लास्टिक की जगह स्टील या अन्य दूसरे विकल्पों को इस्तेमाल में लाना होगा। बाजार जाते समय जूट की या कपड़े की थैली का इस्तेमाल किया जा सकता है। प्लास्टिक का इस्तेमाल ना करके हम प्लास्टिक प्रदूषण को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
सरकार भी जागरूकता फैलाकर, प्लास्टिक के उत्पादन पर नियंत्रण लगाकर, प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाकर प्लास्टिक के प्रदूषण को कम कर सकती है।
आइए हम सभी मिलकर संकल्प लें ,
प्लास्टिक का उपयोग बंद करें।